विश्वविख्यात शायर और ग़ज़ल सम्राट ख़ुमार बाराबंकवी के रंग में डूबा बाराबंकी

महमूद आलम 

बाराबंकी-विश्वविख्यात शायर और ग़ज़ल सम्राट मरहूम ख़ुमार बाराबंकवी की जयंती के अवसर पर आज उनकी कर्बला सिविल लाइन स्थित मज़ार पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। इस अवसर पर सांसद, विधायक, जिले के कई नामचीन वकील और पत्रकार मौजूद रहे और सभी ने उनकी मज़ार पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।


महफ़िल को हिंदुस्तान के बड़े मुस्लिम धर्मगुरु और शिया स्कॉलर आयतुल्लाह हमीदुल हसन साहब क़िब्ला ने ख़िताब किया। उन्होंने ख़ुमार साहब की शायरी की तारीफ़ करते हुए कहा कि वे बहर के बेहद अच्छे शायर थे और कम शब्दों में बड़े संदेश समाज तक पहुँचाते थे। मौलाना ने कहा कि उनका एक शेर बहुत मशहूर हुआ है—


"न हारा है इश्क़ और न दुनिया थकी है,

दिया जल रहा है हवा चल रही है।"


यह शेर उनकी शायरी की भावुक गहराई और कलात्मकता को दर्शाता है, जो श्रोताओं के दिलों पर गहरी छाप छोड़ता है।


इसके अलावा मौलाना ने उनका एक और मशहूर शेर पढ़ा, जिस पर मज़मे ने ज़ोरदार दाद दी—


"हैरत है तुमको देखकर मस्जिद में ऐ ख़ुमार,

क्या बात हो गई कि ख़ुदा याद आ गया।"


कार्यक्रम के अंत में मौलाना हमीदुल हसन साहब ने ग़ज़ल सम्राट ख़ुमार बाराबंकवी की याद में फातिहा पढ़वाई।


इस मौके पर पूर्व सांसद पी. एल. पुनिया, सदर विधायक सुरेश यादव, पूर्व एमएलसी हरगोविंद सिंह, वरिष्ठ गांधीवादी और समाजसेवक राजनाथ शर्मा, चचा अमीर हैदर, पत्रकार हशमत उल्लाह, पत्रकार तारिक खान, अमीर रिज़वी, डॉ. रज़ा मौरानवी, कशिश संदिलवी, मौलाना हिलाल अब्बास साहब, अधिवक्ता रेहान मुस्तफ़ा समेत जिले की कई गणमान्य हस्तियां मौजूद रहीं।


अंत में, ख़ुमार अकादमी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम के संयोजक अमीर रिज़वी और जनरल सेक्रेटरी उमेर किदवई ने सभी मेहमानों का तहे दिल से शुक्रिया अदा किया ।

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