देवा मेला में देर रात तक चले ऑल इंडिया मुशायरे में नामचीन शायरों ने लूटी वाहवाही



महमूद आलम 

*101 वां मुशायरा किया गया आयोजित*


 *दिग्विजय सिंह व मुजफ्फर अली ने शमां रोशन कर किया कार्यक्रम का शुभारंभ*


बाराबंकी। देवा मेला के ऑडिटोरियम में बुधवार की रात आयोजित 101वें मुशायरे में देश के कोने-कोने से आए नामचीन शायरों ने अपनी ग़ज़लें और नज़्में पढ़कर समां बाँध दिया। शायरों की एक से बढ़कर एक पेशकश पर श्रोताओं ने तालियों की गड़गड़ाहट से स्वागत किया। *कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि पूर्व मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश श्री दिग्विजय सिंह एवं विशिष्ट अतिथि फ़िल्म निदेशक मुज़फ़्फर अली और पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप ने शमां रोशन कर की। मुशायरे की सदारत/अध्यक्षता इमरान-उर- रहमान किदवई ने की जबकि निज़ामत (संचालन) शायर अबरार काशिफ* ने किया। इस अवसर पर मुख्य संयोजक चौधरी तालिब नज़ीब कोकब सहित मेला कमेटी के सदस्यगणों ने सभी अतिथियों और शायरों को शाल ओढ़ाकर मोमेंटो देकर उनका स्वागत किया। कार्यक्रम में मेला कमेटी के सदस्य फव्वाद किदवई, महबूब-उर-रहमान किदवई, राय स्वरेश्वर बली, संदीप सिन्हा, चौधरी फैज़ महमूद, डॉ. फार्रुख हुसैन किदवई और रानी मृणालिनी सिंह और मुशायरा समिति के उपाध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार हसमत उल्ला, सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे। इस अवसर पर पत्रिका आबसार 2025 का अतिथियों द्वारा विमोचन किया गया। मुशायरे की शुरुआत शायर अज्म शाकिरी ने अपनी शेर नहर से इक नहर जारी कर रहा हूं, आंसुओं से चित्रकारी कर रहा हूँ, से की। इसके बाद शायर फैज कुमार ने, इतने ग़म पहले मुहब्बत ने दिए मुझको, अब न पछतायेगे अब इश्क दोबारा करके, पढ़कर खूब वाहवाही लूटी। इसके बाद उन्होंने पढ़ा, शेहरा में जो रहने का तलबगार नहीं है, मजनू की विरासत का वो हकदार नहीं है। पढ़कर खूब तालियां बटोरी। इसके बाद उन्होंने पढ़ा कि, जो दिल में है होठों पे वही बात रहेगी। इसके बाद शहबाज़ तालिब ने अपने शेर “तरसेंगे वही लोग मुहब्बत की हवा को, जो लोग मुहब्बत का शजर काट रहे हैं।” पढ़ा।  इसके बाद शायरा शबीना अदीब ने अपनी शेर, अपना ग़म इस तरह थोड़ा कम कीजिये, दूसरों के लिये आंख नम कीजिये, कुछ गरीबों के दिन भी संवर जाएंगे, आप अपनी जरूरत को कम कीजिये, पढ़कर खूब वाहवाही लूटी। 


इसके बाद, डॉ. अंजुम बाराबंकी, अबरार काशिफ (अमरावती), मुमताज़ नसीम (अलीगढ़), डॉ. नदीम शाद और उस्मान मिनाई (बाराबंकी) ने अपनी-अपनी ग़ज़लों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। रात देर तक चले इस मुशायरे में इश्क, इंसानियत और सामाजिक सरोकारों पर आधारित शेरों ने हर दिल को छू लिया। देवा मेला की यह शाम अदबी रंग और रूहानी महफ़िल में तब्दील हो गई।

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