संस्कृत भाषा का आधुनिक युग में महत्व विषय पर संगोष्ठी का आयोजन



महमूद आलम 

बाराबंकी-जनेस्मा महाविद्यालय के सभागार में संस्कृत भाषा का आधुनिक युग में महत्व विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। अकादमिक उद्देश्य से नियमित होने वाली संगोष्ठियों के क्रम में इस संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के संरक्षक और प्राचार्य प्रोफेसर (डॉ०) सीताराम सिंह ने छात्रों को संस्कृत भाषा की कठिनता के संबंध में चली आ रही अवधारणा से मुक्त होने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि संस्कृत हमारी भाषा का ही परिष्कार नहीं करती, अपितु हमारे व्यक्तित्व का भी संस्कार करती है। उच्चारण को दोषमुक्त करने में संस्कृत भाषा का उपयोग किया जाता है।


कार्यक्रम में संस्कृत विभाग के प्रो० मनीष पाण्डेय ने संस्कृत व्याकरण के वैज्ञानिक आधार को स्पष्ट करते हुए कहा कि संस्कृत भाषा, स्पष्टता, जीवंतता और लचीलेपन की भाषा है , जिसके आयाम आधुनिक युग की आवश्यकताओं को पूर्ण करने में सक्षम हैं। उन्होंने कंप्यूटर की कार्यप्रणाली और संस्कृत व्याकरण के नियमों का  सादृश्य प्रस्तुत करते हुए संस्कृत का महत्व रेखांकित किया।



संस्कृत विभाग के प्रभारी प्रो० अम्बरीष कुमार शास्त्री ने संस्कृत की महत्ता को निर्विवाद बताते हुए कहा कि जो सदैव प्रासंगिक है, उस की प्रासंगिकता का प्रश्न कैसा? उन्होंने संस्कृत की सहायता से प्राप्त हो सकने वाले रोजगार के अवसरों में संस्कृत की भूमिका की विस्तार से चर्चा की।


कार्यक्रम का कुशल संचालन प्रो० अनिल कुमार विश्वकर्मा ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ० मानव कुमार सिंह ने किया। इस अवसर पर प्रो. कृष्ण कांत चंद्रा, प्रो. अमित कुमार, डॉ. प्रदीप कुमार, डॉ. लक्ष्मी, डॉ. अभिषेक मौर्य, डॉ. आशुतोष सहित महाविद्यालय के छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।

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